Skip to main content

श्री प्रिया श्रृंगार

श्री प्रिया श्रृंगार

श्री प्यारी को अदभुत श्रृंगार क्या कहा जावे ॥ प्रियतम निज करों से श्यामा को अदभुत सजावें हैं नित्    ॥ तो क्या आभूषण वसन से सजावें हैं प्यारी को ॥ ना ,वे तो  सजावें हैं निज हृदय के अनन्त भाव सुमनों से ॥ प्रिया जू को हार, किंकणी, कटि मेखला ,नूपुर चंद्रिका ,बेसर ,कंचुकी, चुनरी कुछ भी वस्तु ना जानियो ॥ ये सबन श्यामसुन्दर ही जानियों । जैसै श्री प्यारी के उर भाव ही सखियाँ , सहचरियाँ , किंकरियाँ तथा गोपीगण रूप प्रकट भये हैं वैसै ही तो प्रियतम उर भाव प्रिया को भूषण वसन रूप सेवा करते प्यारी जू की ॥ प्रत्येक नूपुर का मधुरातिमधुर स्वर प्रियतम के हृदय की वाणी ही तो है जो सदा प्रिया के कर्णपटुओं में प्राणेंश्वरी हृदयेश्वरी जीवनी प्राणसारसारा उर विहारिनी हृदय विलासिनी प्राण संजीवनी और न जाने ऐसे कितनी सरस पुकारें सदा सरसाती रहती ॥किंकणियों की सुमधुर रस ध्वनि, केली रस में निमग्न प्रियतम की मधुर रससिक्त श्वासें ही तो हैं ॥ प्रत्येक वसन को स्पर्श प्रियतम का हृदय स्पंदन है ॥ न जाने कितने गहनतम भावों का अंजन प्रिया के नयनों माहीं आंजते प्रियतम । न जाने कौन कौन सी रस लालसा अधरों की लालिमा बन छा जाती अधरों पर ॥ वेणी के पुष्प ,पुष्प नहीं वरन प्यारी से कही जाने वाली रहस्यमयी रस वार्तायें हैं ॥ जिन्हें प्रियतम प्यारी की वेणी में गूंथ गूंथ कभी हो चुकी केलियों की स्मृति संजोते हैं तो कभी होने वाली केलियों का गुप्त संकेत छिपातें हैं ॥।प्रत्येक भूषण को अनुभव प्यारी को प्रियतम हृदय स्वरूप ही होवे है । बिना कहे सारी रस वार्ता ,रस लालसा कह जाते प्रियतम उर की प्रिया हृदय से ये सुंदर भूषण ॥

Comments

Popular posts from this blog

निभृत निकुंज

निभृत निकुंज , निकुंज कोई रतिकेलि के निमित्त एकांतिक परम एकांतिक गुप्त स्थान भर ही नहीं , वरन श्रीयुगल की प्रेममयी अभिन्न स्थितियों के दिव्य भाव नाम हैं । प्रियतम श्यामसु...

युगल नामरस अनुभूति (सहचरी भाव)

युगल रस अनुभूति (सहचरी भाव) सब कहते है न कि प्रियतम के रोम रोम से सदा प्रिया का और प्रिया के रोम रोम से सदा प्रियतम का नाम सुनाई पडता है ॥ परंतु सखी युगल के विग्रहों से सदैव युगल...

रस ही रस लीला भाव

रस ही रस लीला भाव नवल नागरी पिय उर भामिनी निकुंज उपवन में सखियों सहित मंद गति से धरा को पुलकित करती आ गयी हैं ॥ प्रिया के मुखकमल की शोभा लाल जू को सरसा रही है ॥ विशाल कर्णचुम्ब...