श्री राधिका
प्रेम को साकार विग्रह श्री प्रिया जू और उनका स्वत्व ......
प्रेम को मूरत प्रेम को सूरत
प्रेम को अलकन प्रेम को पलकन
प्रेम को नैनन प्रेम को अधरन
प्रेम को बैनन प्रेम को सैनन
प्रेम की नथली प्रेम को हार
प्रेम को भूषण प्रेम सिंगार
प्रेम को नूपुर प्रेम को पायल
प्रेम को मेंहदी प्रेम महावर
प्रेम को चूनर प्रेम को चोली
प्रेम को भाषा प्रेम को बोली
प्रेम हृदय है प्रेम ही धडकन
प्रेम छुअन है प्रेम ही पुलकन
प्रेम गीत है प्रेम ही थिरकन
प्रेम चलन है प्रेम ही नर्तन
प्रेम को प्राणन प्रेम को श्वास
प्रेम की किंकरी प्रेम की मंजरी
प्रेम की सखी और प्रेम की सहचरी
प्रेम को कुंजन प्रेम निकुंजन
प्रेम को राधा प्रेम को मोहन
प्रेम धरा है प्रेम गगन है
प्रेम को जल और प्रेम पवन है
प्रेम की यमुना प्रेम को उपवन
प्रेम को गिरिवर प्रेम वृंदावन
प्रेम राग है प्रेम रागिनी
प्रेम चांद है प्रेम चांदनी
प्रेम निशा है प्रेम भोर है
प्रेम प्रकाश ही चहुंओर है
प्रेम दामिनी प्रेम ही वर्षा
प्रेम मेघ सो प्रेम ही बरसा
प्रेम कमल और प्रेम सरोवर
प्रेम पराग और प्रेम ही मधुकर
प्रेम छवि और प्रेम ही सुगंध
प्रेम रूप रस मकरंद ...
प्रेम ....
निभृत निकुंज , निकुंज कोई रतिकेलि के निमित्त एकांतिक परम एकांतिक गुप्त स्थान भर ही नहीं , वरन श्रीयुगल की प्रेममयी अभिन्न स्थितियों के दिव्य भाव नाम हैं । प्रियतम श्यामसु...
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