भाव राज्य भाव राज्य प्रेम राज्य रस राज्य आहा......। सब एक ही ... भाव -प्रेम - रस का अभिन्न जीवन , जीवन भी जीवन का ... मृत्यु का नहीं ॥ मूल में भाव की ही सत्ता है सर्वत्र पर भावशून्यता में ह...
*प्रीति की कलियाँ प्यारी सखियाँ* *सखी जिसकी प्राणछवि है यह यह युगल श्रीपियप्यारी । नित पगी रहती है , सम्पुर्ण प्राणों से अपने प्राण प्यारे युगल की सेवालालसा में* हलरावे दुल...
स्वयम से कुछ भाव वार्ता स्वयं से वार्ता ....हां कभी कभी स्वयं से भी वार्ता आवश्यक होती है स्वयं को जानने के लिये संबधों को पहचानने के लिये ॥ प्रत्येक मनुष्य का जीवन कई स्तरों म...
कदा करिष्यसीह मां कृपाकटाक्ष भाजनम् कैसै हैं श्री प्रिया के श्यामसुन्दर ॥।हमारे भी कहा जा सकता था पर हमारे श्यामसुन्दर को तो हम अपने प्रेम रहित भाव रिक्त हृदय से ही देखत...
मधुर आसक्त हो प्रीति पुकार उठें नित्य क्षण-क्षण ...मैं तेरी रह जाऊँ ...तुझमें खो जाऊँ और गाढ़ हो अचम्भित भावाणु को सुनाई देवें हिय से महाभाविनि की मधुर वांछायें ... *मधुर वांछा .........* ओ ...
श्रीकृष्ण .......... कौन हैं श्रीकृष्ण , श्री प्यारी के प्रियतम जिनका नाम है कृष्ण ......ना । श्रीकृष्ण है श्री प्यारी के हृदय रस ते निर्मित रसवपु को नाम । सीप के हृदय रस ते बने वस्तु को मु...