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नेहप्रसून ....प्यारो कन्हाई

नेहप्रसून ....प्यारो कन्हाई

श्रीब्रजमंडल .......एक सुंदर वाटिका , जो सजाई है श्रीप्रेमतत्वरूपिणी प्यारी श्रीश्यामाकिशोरी ने निज हृदय के अनन्त प्रेमभावों से .......इस मधुमय प्रेमवाटिका में खिला हुआ मधुरतम सरसतम् कोमलतम् पुष्प है प्यारो कन्हाई ........हां श्रीब्रजमंडल को प्राणपुष्प है जे प्यारो .......श्रीश्यामा की प्रेमवाटिका में मुस्कुराता महकता कोमल सा फूल जे हमारो प्यारो । सभी ब्रजवासिन नित निजनिज हियप्रान रस से सींचे हैं जा को । अणु अणु कन कन उडेल देवे है निज को या कोमल सों फूलन पे .....इन्हीं के हिय रस से नित पोषित हो जे फूल और महके ......और कोमल होवे .....और स्निग्ध होई जावे .......नित और .......और मधुर होतो जावे .......और जे माधुर्य इन्हीं ब्रजवासिन पर पुनः पुनः बरसती रहवे । हम भी रोपें या कोमल .....अति ही सुकुमार रसीले फूलन को निज हिय वाटिका में और नित ही सींचे हियप्रेम जल से या को जो ये और फूले ......झूमें आनन्द सों ......महके और .....और.     और मधुर मधुर होई जावे । या की मिठास हमारे रोम रोम को मधुमय करि देवेगी री ......जे फूल बडो ही प्यारो है जी .....पर निज सर्वस्व को चूर्ण कर रज बनाय या को रोपनो पडे है .......नित हिय को पिघलाय पिघलाय वा के रस कू या ही को पिवानो पडे है तबही खिले है जे नित नवल फूल .......नित बरसाओ नेह सलिल या पर और नित देखो इस नेह फूल को और ....और खिलता ........अरे तुम्हारे हिय को रस और कुछ नाहिं वही या की प्रान संजीवनी ही तो है .. ...अरे तनिक नेत्र बंद करि देखन को प्रयास तो करो एक सुंदर वाटिका मे खिला मनोहर मनहर पुष्प ......ज्यों नील पाटल और उस पर बरसती पीत चंद्रिका .......ज्यों ज्यों जे पीत चंद्रिका या फूलन के रोम रोम में समाती जावे त्यों त्यों या की नीलिमा और ......और गाढ होती जावे .......स्निग्ध नीलिमा मधु में भीगे हुयी गाढ ........गाढ......बस इतनो सावधानी राखियो कि जे अति कोमल फूल ह्वै वही जानियो या को , निज इच्छा को कल्पतरु मत समझ लीनो या को । फूल कू फूल ही राखियो ......

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