मैं क्या दूँ सार भाव - 4 श्री राधा ... मैं क्या दूँ ....एक सामान्य सी जिज्ञासा से उत्पन्न हुये भाव प्रवाहों को अभी तक कुछ साधारण से शब्दों में बांधने का तुच्छ सा प्रयास किया ॥ इतने व...
मैं क्या दूँ 3 मैं क्या दूँ मैं क्या दूँ ....। इस जिज्ञासा पर अभी तक हमनें दो स्थितियों पर वार्ता की । आज इस भाव की तृतीय अवस्था पर हमें बात कहनी है ॥ पूर्व वार्ता में कहा गया कि श्...
मैं क्या दूँ 2 मैं क्या दूँ ? इस प्रश्न के पीछे के कई भाव हो सकते हैं ॥ एक कि क्या दूँ पाने के लिये दूसरा क्या दूँ देने के लिये तीसरा क्या दूँ उनके सुख के लिये ॥ प्रथम भाव संसारी रख...
मैं क्या दूँ अक्सर ये जिज्ञासा अनुभव में आती है कि श्री भगवान् कैसै प्राप्त होंगें अथवा श्री वृंदावन कुंज निकुंज की प्राप्ति किस प्रकार होगी । क्या वे कुछ देकर मिल जाते ...
*आहा .....री सखी बडों सुख पिय निरखन में ...* हां री, मेरी प्यारी सखी बडा ही सुख है री प्यारे को निरखने में । तू कभी निरखी है उन्हें । कभी देखा है उन कोटि-कोटि प्राण सुकोमल नवल नवघन सुंद...
नेहप्रसून ....प्यारो कन्हाई श्रीब्रजमंडल .......एक सुंदर वाटिका , जो सजाई है श्रीप्रेमतत्वरूपिणी प्यारी श्रीश्यामाकिशोरी ने निज हृदय के अनन्त प्रेमभावों से .......इस मधुमय प्रेमव...
मोहे नेक सो कृष्ण पिवाय देयो........ कौन हो तुम प्रियतम !......परमतम् प्रेम की पूर्णतम् पराकाष्ठा ......पूर्ण समर्पण का चरम स्वरूप ......या परिपूर्णतम् आत्मदानविग्रह ......। गहनतम् प्रीती हो या क...
*साधना और प्रेम प्राप्ति* वास्तव में साधना और प्रेम दो भिन्न स्थितियाँ हैं । साधना मार्ग है और प्रेम महान लक्ष्य ...मधुर तप्त रसामृत-फल । मूल में सन्सार जिसे साधना कहता वह प्र...