प्रियता ........... प्रेम !..........अपने भीतर अनन्त अगाध रहस्य समेटे हुये एक रत्नाकर सा लहराता हुआ , कभी शांत कभी प्रशांत सा दीखता .......कभी भावों का ज्वार आने पर अंतर्ह्रदय की अनुभूति रूपी रत्न...
Share naa kre रसिया को नार बनाओ री रसिया को ............ निकुंज भवन माँही आज एक अति सरस लीला रच्यो ह्वै । यूँ तो निकुंज कू स्वरूप ही अति गाढ महान युगलरस है , पर यहाँ होती प्रत्येक केलि नित नूतन रस की ...
कहाँ कहाँ से समेटुँ .......... प्यारे श्यामसुन्दर !........ना जाने कितना सुना ना जाने कितना पढा है आपके दिव्य सौंदर्य राशि के बारे में ........उसे तो न निरख सकी पर प्रकृति में बिखरे आपके माधुर्...
रसिक अनन्यनि को पथ बाँको ...... वेद को पथ ,शास्त्रों को पथ , लोकाचार को पथ ............इस संसार रूपी अश्वथ् की अनन्तानन्त विस्तार वाली शाखाओं व उपशाखाओं से मुक्त कर देने का प्रलोभन देते ,परं...
कहाँ कहाँ से समेटुँ .......... प्यारे श्यामसुन्दर !........ना जाने कितना सुना ना जाने कितना पढा है आपके दिव्य सौंदर्य राशि के बारे में ........उसे तो न निरख सकी पर प्रकृति में बिखरे आपके माधुर्...