बंसरि ....... विचित्र सी अनुभूति हो रही ....संगीत की स्वर लहरी ...आहा !.....कर्णरंध्रों से सीधे अन्तर्मन में उतरती ......बंसरि का यह मधुर स्वर जैसे बाहर शांत हवा के सागर में सुर की तरंगे प्रवाह...
रास की रात्रि ..... रस की रात्रि ............ आज रास की रात्रि ह्वै , रस की रात्रि ह्वै , उज्जवल रस की उज्जवल रात्रि ह्वै । शुभ्र धवल ज्योत्सना , अमृत की बूंदों को लिये हुये छिटक रही ह्वै श्रीव...
योगमायामुपाश्रिता ....... शिशुवत् दर्पन में निज प्रतिबिंब स्वरूपों से खेलना है , इसी हेतु प्रारंभ में ही कह दिया गया योगमायामुपाश्रिता .....अर्थात् योगमाया का आश्रय लेकर । बिना य...
श्रीराधा नाम रस श्रीराधा .......श्रीराधा ...........श्रीराधा .........श्रीराधा ......... कण कण श्रीनिकुंजदेश का उच्चारित करता परम मधुर स्वर झंकृतश्रीराधा .......श्रीराधा .......श्रीराधा .......निकुंज उपवन का प्र...
महाभाविनी का भाव साम्राज्य.... एक होकर अनन्त हैं वे और अनन्त होकर पुनः एक ही । उनके चिन्मय प्रेम राज्य की समस्त भाव राशि वे स्वयं ही तो हैं । समष्टि का अणु अणु उन्हीं महाभाविनी ...
रास की रात्रि ..... रस की रात्रि ............ आज रास की रात्रि ह्वै , रस की रात्रि ह्वै , उज्जवल रस की उज्जवल रात्रि ह्वै । शुभ्र धवल ज्योत्सना , अमृत की बूंदों को लिये हुये छिटक रही ह्वै श्रीव...
श्रीप्रिया-तृषा श्रीकृष्ण रसराज है संपूर्ण चराचर समस्त जीव सत्ता के लिये , परंतु तृषित हैं केवल श्री राधिका के समक्ष और श्री किशोरी भावित सेवा-सेविकाओं समक्ष । जिनके भी ल...