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Showing posts from February, 2019

सखि विरह

सखि विरह सखि का निज कुछ ह्वै तो वो दोऊ प्राणलाडिले ह्वैं। सखि युगल के ह्रदय का प्रकट स्वरूप  .....युगल का पारस्परिक विरह ही सखि का विरहानल  ......प्राण विकल होवें ह्वैं.....तप्त होते ह...

रस

रस ....... क्या लिखुँ तुम्हारे संबंध में ! क्योंकी वाणी विषय जो नहीं तुम , पर फिर भी जी ललचा रहा कि किंचित तो तुम्हारा परिचय होवे । तो कुछ अपने मन को , कुछ मति को , कुछ हिय को , कुछ शब्दों स...

श्रीयुगल प्रेम तत्व

श्रीयुगल प्रेम तत्व ..... श्रीराधा श्रीकृष्ण प्राप्ति की चिंतामणि श्रीराधिका और श्रीराधिका प्रेम प्राप्ति की चिंतामणि श्रीकृष्ण । समझने में नेक सो कठिन प्रतीत हो सकता पर...