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Showing posts from 2020

श्री प्रिया हृदय निधि श्रीवृन्दावन , तृषित

*श्री प्रिया हृदय निधि श्रीवृन्दावन* श्री वृंदावन श्री वृंदावन श्री वृंदावन आहा........। श्री किशोरी जू का हृदय साकार प्रफुल्लित रससिक्त रसार्णव रससार आह्लाद का श्रृंगार महोदधि श्री वृंदावन ......। श्री रसिकों का उद्घोष श्री प्रिया जू का ही हृदय दर्शन है श्रीवृंदावन ...विलसते अनन्त सुख श्रृंगार । महाभाविनि का सेवार्थ निज प्रेम हेतु सुखालय ... अनन्त सरस उत्सवों के धर्ता-भर्ता श्रीविपिन राज और श्रीप्रिया हृदय प्रेम के अनन्त महाभावों का मूल उद्गम है ...अभिसारिणी श्रीप्रिया का श्रृंगारात्मक अभिसार ... अनन्त रस विलास निकुंजों से सुसज्जित श्रीविपिन । श्रीवृंदावन का रस मति का नहीं वरन केवल हृदय का विषय है सो मात्र हृदय में ही हृदयंगम होवे  यह भावराज्य , हृदय में श्रीयुगल स्वरूप को उनके सरस उत्सवों सँग कोई विराजने को उन्मादित हो उठे तो वह भीगे होते है श्रीविपिन के डाल-पात और फूल-फूल से गूँथते सुखों को भरने में । श्रीवृंदावन प्राकृत स्थान या भूमि भर का नाम ना है , यह तो श्री प्रिया के अनन्त प्रेम भावों का प्रकट श्रृंगारमय रसमय दर्शन है । भेद की सत्ता इस मायिक जगत में है , श्रीविपिन को दिय...

अपनत्व में प्रीति

*अपनत्व में प्रीति * प्रेम तो वास्तव में अपनत्व में ही होता है , जो निजतम हो अर्थात् आत्मियता अभिन्न हो वहीं ...निज रस में ही । परता - पराये तत्व में संभव ही नहीं प्रेम । पर की प्रति...

श्रीप्रिया चरण तृषित

*श्रीप्रिया चरण* श्रीप्रिया पद पद धरती ...श्रीप्रिया चरण आह  सखी री प्राण सर्वस्व श्रीप्रिया कोमल पद मकरन्द ! सहज सरल सरस उर-मंडल (हृदय) में बिहरते मेरी प्रिया के कोमल सुकोमल स...

रस चैतन्य तृषित

योगमाया की सेवा है लीलार्थ विस्मरण देना । जिससे तत्काल का रस प्रकट हो श्रीहरि को । निकुँज में वह रँगमय सँग होते श्रीप्रिया के क्योंकि निकुँज की सब लीला तत्सुखमयी है । तो वह...