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Showing posts from September, 2018

प्यारे के नयन , तृषित

*प्यारे के नयन* कब तक है यह मन भटकता हुआ , जब तक इसे स्थिर रस ना मिले । यह वास्तविक सौंदर्य से ना टकरा जावें , दृष्टि बन भागता यह मन बहुत भागे तो टकरा जाता .. हर लिया जाता यह श्रीप्या...

ये फूलों की बातें , हैं फूलों से बातें । काव्य

ये फूलों की बातें हैं फूलों से बातें गहन रात्रियों की सितारों से बातें चाँद से झरती चाँदनी की बातें महकती हुयी खुशबुओं की बातें जगमगाते हुये जुगनओं की बातें बिन बातों मे...