भाव काव्य लहरियाँ August 20, 2018 1 मिटे सभी विषाद घनेरे छायी उर अन्तर तव प्रीती दूर हटे भ्रम के अंधियारे मिटे सभी क्लेश मति के थी व्यथा अपार ये मन में हरि प्रीती पथ भटक गयी हूँ खोई क्यों भव तरंग में क्यो पिय च... Read more